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गुरुओं के सिखों को खालिस्तानी कहने वालों को मुहं तोड़ जवाब देना जरूरी : स. दया सिंह


ऑल इंडिया पीस मिशन के अध्यक्ष व सिंह सभा शताब्दी समारोह कमेटी के सचिव स. दया सिंह ने पंजाब व सिखों के तमाम मुद्दों को लेकर नई दिल्ली संसदीय सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की

चण्डीगढ़ : गुरुओं के सिखों को खालिस्तानी कहने वालों को मुंह तोड़ जवाब देना अंत्यंत जरूरी हो चुका है। ये कहना हैं ऑल इंडिया पीस मिशन के अध्यक्ष व सिंह सभा शताब्दी समारोह कमेटी के सचिव स. दया सिंह का, जो आज यहाँ चंडीगढ़ प्रेस क्लब में एक प्रेस वार्ता को सम्बोधित कर रहे थे। पंजाब के मुद्दों को लेकर स. दया सिंह इन लोकसभा चुनावों में नई दिल्ली संसदीय सीट से निर्दलीय चुनाव भी लड़ने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब के लोग काफी मेहनती हैं जिसकी बदौलत ये राज्य एक सम्पन्न व अग्रणी राज्य था परन्तु अब दुर्दशा का शिकार हो गया है व सिखों को खालिस्तानी कह कर पूरी दुनिया में बदनाम किया जा रहा है जोकि गुरुओं की धरती के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।

उनके मुताबिक केंद्र में नरेंद्र मोदी और पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार की नीतियों के कारण एमएसएमई खत्म होने को है, जो पंजाब की सबसे बड़ी ताकत थी। उनके मुताबिक कभी देश के संपन्न राज्यों में शुमार पंजाब अब लगातार कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है। प्रदेश सरकार के ताजा आंकड़ों के अनुसार सूबे पर 3,53,600 करोड़ रुपये का कर्ज है। यानी सूबे के हर व्यक्ति पर करीब एक लाख 12 हजार रुपये का ऋण है। यह ऋण साल दर साल बढ़ रहा है। पंजाब सरकार ने वर्ष 2022-23 में 47,262 करोड़, 2023-24 में 49,410 और 2023-24 में 44,031 करोड़ रुपये कर्जा लिया है। पंजाब की आर्थिक स्थिति सुधारने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार इश्तेहारी सरकार बन गई। सरकार मुलाजिमों की तनख्वाह तक वक्त पर नहीं दे पा रही। कई जिलों में पुलिस कर्मियों तक को मार्च की सेलरी नहीं मिली है।
दया सिंह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह पंजाब को ट्रैक पर ला रहे थे। उन्होंने पंजाब का कर्ज भी माफ किया और कांग्रेस की गलतियों, ब्लू स्टार आपरेशन के लिए संसद के भीतर माफी भी मांगी। जबकि भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण अडवाणी ने अपनी किताब “माई कंट्री माई लाइफ” के पेज नंबर-411 से 416 तक में खुद माना है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी आपरेशन ब्लू स्टार नहीं करना चाहती थीं मगर “उन्होंने इंदिरा गांधी पर दबाव डालकर यह आपरेशन करने के लिए विवश किया।” पंजाब को लेकर 1 जून 1984 की बैठक के बाद 2 जून की डिक्लरेशन में इंदिरा गांधी ने खुद कहा कि हिंसा को हिंसा से खत्म नहीं किया जा सकता है। घृणा को घृणा से खत्म नहीं किया जा सकता है, परंतु सम “मिस गाइडेड हिंदूज” इस पर दबाव बना रहे हैं, कि हिंसा की जाये। सवाल यही है कि मिस गाइडेड हिंदू कौन हैं? वो लोग जो सिखों को खालिस्तानी कहकर बदनाम करते हैं, या वो सिख नेता जो खुद को उनका मालिक समझते हैं। उन्होंने सिखों की संस्थाओं पर भी कब्जा कर लिया है। उन्होंने वर्तमान परिदृश्य पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि गुरुओं के सिखों को खालिस्तानी कहने वालों को मुंह तोड़ जवाब देना अंत्यंत जरूरी हो चुका है। उन्होंने आरएसएस को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इस संस्था का एजेंडा दो तीन पूंजीपतियों को साधकर शेष सभी को भिखारी बनाकर राज करने का रहा है। इस बात को राष्ट्रीय स्वयं संघ के दूसरे प्रमुख माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर, जिन्हें संघ में गुरूजी कहकर संबोधित किया जाता है, ने अपनी किताब नेशन हुड में लिखा है कि “देश की परिसंपत्तियों पर दो तीन साहूकारों का कब्जा करवा दिया जाये, शेष को भिखारी बना दिया जाये तो 50 साल तक राज किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पंजाब तमाम तरह के गंभीर संकटों से गुजर रहा है। पंजाबियों की आवाज को लगातार दबाया जा रहा है और कोई सुनवाई नहीं हो रही।

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