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एक पूर्ण सतगुरु द्वारा प्रदत्त दिव्य चक्षुओं से ही हम ईश्वर को घट-घट में देख सकते हैं : साध्वी संयोगिता भारती


भगवान परशुराम भवन सेक्टर 37-सी में पांच दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन

चण्डीगढ़ : श्री ब्राह्मण सभा, चण्डीगढ़ द्वारा भगवान परशुराम जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में भगवान परशुराम भवन सेक्टर 37-सी में पांच दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन किया जा रहा है। आज कथा के अंतर्गत दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक आशुतोष महाराज जी की परम शिष्या कथा व्यास साध्वी संयोगिता भारती ने अपने विचारों में कहा कि सोचने की बात है कि जब ईश्वर धरती पर अवतार धारण करके आते हैं तो कितने लोग उसे पहचान पाते हैं। प्रभु राम के साथ रहने वाली माता कैकेयी, मंथरा उन्हें पहचान नहीं पाई। रावण ने जब प्रभु को देखा उन्हें वनवासी कहकर सम्बोधित किया। लेकिन माता शबरी ने प्रभु श्री राम को प्रथम भेंट में ही पहचान लिया था। इसका कारण यह है कि हम इन स्थूल नेत्रों से प्रभु को नहीं पहचान सकते। मां शबरी के पास दिव्य नेत्र था जो उन्हें गुरु मतंग मुनि ने प्रदान किया था। रावण, कैकेयी, मंथरा आदि के पास यह दिव्य चक्षु नहीं था। इसलिए दिव्य चक्षु का खुलना आवश्यक है जिसके आधार पर हम उस सगुण शक्ति को पहचान सकें। यह दिव्य चक्षु केवल एक पूर्ण सतगुरू ही प्रदान कर सकता है। इसलिए जीवन में एक पूर्ण सतगुरु की जरूरत है जो ऐसा नेत्र प्रदान करें जिससे हम ईश्वर को घट-घट में देख सकें।

इस अवसर पर सभा के प्रधान यशपाल तिवारी सहित सभी पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने प्रभु का विधिवत पूजन करके कथा का श्रवण किया। कथा के दौरान साध्वी सदया भारती, साध्वी मनप्रीत भारती एवं साध्वी प्रभु ज्योति भारती ने सुमधुर भजनों एवं चौपाइयों का गायन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। कथा को विराम प्रभु की पावन आरती करके दिया गया।

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