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कश्मीर से कन्याकुमारी की यात्रा पर हैं डॉ किरण सेठ।


हजारों मील साइकिल यात्रा कर दे रहे भारतीय सभ्यता का संदेश।

ब्यूरो/उत्तराखण्ड लाइव: देश भर में भारत की संस्कृति और सभ्यताओं के प्रचार-प्रसार के लिए विश्व प्रसिद्ध अभियान स्पिक मैके के संस्थापक पद्मश्री प्रोफेसर किरण सेठ इन दिनों साइकिल यात्रा पर हैं। कश्मीर से चले 73 वर्षीय डॉ किरण सेठ कन्याकुमारी तक के सफर पर हैं। इस दौरान वे विभिन्न शिक्षण संस्थानों में व्याख्यान के जरिए भारतीय संगीत व संस्कृति के विषय पर अपना अनुभव और जानकारियां साझा कर रहे हैं। बुधवार को उत्तराखण्ड पहंुचे डॉ किरण को उत्तराखण्ड के राज्यपाल महामहीम ले0 जन0 गुरमीत सिंह ने उनका स्वागत किया और हरी झण्डी दिखाकर उन्हें उनकी यात्रा के अगले पड़ाव के लिए रवाना किया। इस दौरान तीर्थनगरी पहुंचे डॉ किरण सेठ का विभिन्न राजनीतिक दलों व शिक्षण संस्थानों के शिक्षाविदों द्वारा माल्यर्पण कर स्वागत किया गया।

जानकारी के मुताबिक पद्मश्री प्रोफेसर किरण सेठ 15 अगस्त 2022 को कश्मीर से अखिल भारतीय एकल साइकिल यात्रा आरम्भ की। इस दौरान वे कश्मीर, जम्मू, पठानकोट, लुधियाना,चंडीगढ़, अंबाला, यमुनानगर और सहारनपुर होते हुए उत्तराखण्ड पहुंचे। अपनी तय यात्रा कार्यक्रम के अनुसार 73 वर्षीय डॉ किरण सेठ कश्मीर से कन्याकुमारी तक लगभग 200 से अधिक जिलों और शहरों में प्रवेश करेंगे। स्पीक मैके के समन्वयक अभिषेक अग्रवाल ने बताया तीर्थनगरी में रहते हुए डॉ किरण सेठ  आल इण्डिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, एम्स ऋषिकेश एवं ओमकरानंदा इंस्टिट्यूट सहित क्षेत्र के विभिनन स्कूल और कॉलेज के प्रधानाचार्यों, छात्र-छात्राओं व विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ चर्चा करेंगे। साथ ही भारतीय संस्कृति व उसके शास्त्रीय संगीत के प्रचार को समर्पित स्पीक मैके अभियान की शुरूआत और लक्ष्य की जानकारी भी देते नजर आएंगे। उन्होंने बताया कि अपनी तय यात्रा कार्यक्रम के अनुसार 73 वर्षीय डॉ किरण सेठ कश्मीर से कन्याकुमारी तक लगभग 200 से अधिक जिलों और शहरों में प्रवेश करेंगे। 26 सितंबर को उनकी यात्रा को जिलाधिकारी,  टिहरी द्वारा झंडी दिखाकर रवाना किया जाएगा। ऋषिकेश से वह साइकिल चला कर हरिद्वार, रुड़की, मुजफ्फरनगर, मेरठ से होते हुए दिल्ली जाएंगे। उनका लक्ष्य 31 दिसंबर 2022 तक कन्याकुमारी में इस यात्रा को समाप्त करना है। 2 अक्टूबर 2022 को, गांधी जयंती के अवसर पर, डॉ किरण सेठ का लक्ष्य जम्मू-कश्मीर, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को कवर करते हुए, कश्मीर से साइकिल चलाकर राष्ट्रीय राजधानी, नई दिल्ली तक पहुंचना है, जो कि 1000 किमी से अधिक है। ऋषिकेश  में डॉ. सेठ का स्वागत करने वालो में जयेन्द्र रमोला, अक्षत गोयल , श्रीकंता शर्मा,संजय अग्रवाल , धीरेन्द्र जोशी , सुमंत डंग समेत अनेक लोग शामिल रहे।

कौन हैं डॉ किरण सेठ: – किरण सेठ (जन्म 1949) एक भारतीय शिक्षाविद और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में पूर्व प्रोफेसर एमेरिटस हैं। उन्हें स्पिक मैके (1977) के संस्थापक के रूप में जाना जाता है, एक एनजीओ जो भारतीय शास्त्रीय संगीत, भारतीय शास्त्रीय नृत्य और भारतीय संस्कृति के अन्य पहलुओं को दुनिया भर के युवाओं में अपने 500 अध्यायों और सम्मेलनों के माध्यम से, बैठक , व्याख्यान और संगीत समारोह के जरिये बढ़ावा देता है। 2009 में, डॉ किरण को  कला में उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

क्या है स्पीक मैके:- स्पिक मैके  एक गैर-राजनीतिक, राष्ट्रव्यापी, स्वैच्छिक आंदोलन है जिसकी स्थापना प्प्ज्-दिल्ली में प्रोफेसर रह चुके डॉ. किरण सेठ ने वर्ष 1977 में की थी। उल्लेखनीय है कि कला के क्षेत्र में योगदान के लिये डॉ. किरण सेठ को वर्ष 2009 में श्पद्म श्रीश् से सम्मानित किया गया था। अपने 45 वर्षों के अस्थित्व में, प्रत्येक बच्चे को भारतीय संस्कृति और विरासत में सन्निहित प्रेरणा और रहस्यवाद का अनुभव कराने के लिए, स्पिक मैके ने दुनिया भर में अपनी जड़ें जमाई हैं। यह विशुद्ध रूप से स्वैच्छिक, अराजनैतिक, युवा संगठन है जो भारत और विदेशों के 100 शहरों में शास्त्रीय संगीत, नृत्य, शिल्प, योग और लोक कला, फिल्म स्क्रीनिंग, वार्ता विरासत की सैर और थिएटर शो जैसे विभिन्न कला रूपों की कार्यशालाओं के 5000 से अधिक कार्यक्रम केवल शैक्षणिक संस्थानों में (भारत के शीर्ष कलाकारों द्वारा) आयोजित करता है।

वर्ष 2011 में, ‘स्पिक मैके’ को युवा विकास में योगदान के लिये ‘राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है। ‘राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार’ शांति, सांप्रदायिक सद्भाव के संवर्द्धन और हिंसा के खिलाफ लड़ाई में योगदान के लिये पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती के अवसर पर दिया जाता है। इसके माध्यम से देश के कुशल कलाकारों द्वारा भारतीय शास्त्रीय संगीत और लोकनृत्य, कविता, रंगमंच, पारंपरिक चित्रों, शिल्प एवं योग से जुड़े कार्यक्रमों को मुख्य रूप से स्कूलों और कॉलेजों में प्रस्तुत किया जाता हैं।

 

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